शनिवार, 3 फ़रवरी 2007

प्रभु चले ‘सी ए’ करने

प्रभु चले ‘सी ए’ करने
हमारा एक दोस्त 7 8 फाइनल देने पर भी जब पास नही हुआ तो उसने भगवान शंकर की तपस्या शुरू कर दी

हे प्रभु तुम जग के स्वामी हो।

इस युग मे अन्तरयामी हो।

एक उंगली पर पृथ्वि को उठा सकते हो।।

पर एक काम है जो तुम नही कर सकते।

कितना भी चाहो पर ‘सी ए’ पास नही कर सकते।।

पभु बोले

यह्र असुर कोन है इस अत्याचारी का क्या नाम है

इतना तो बताओ की ‘सी ए’ किस चिड़ि.या का नाम है

दोस्त बोला

कोसता हुॅं उसको जिसने बाजार बनाया

लेने देने के लिए रूपया बनाया

साहुकार जिसे मुंशी कह कर रखा करते है

पढे लिखे मुंशी को ही लोग ‘सी ए’ कहा करते है


1947 मे देश आजाद हुआ तो लोगो ने वो दिन खुशी से मनाया।

1948 मे गांधी जी चले गए तो हमने शोक मनाया।।

पर आने वाले सल मे एक बड़ा भुचाल आया।

1949 मे जब सी ए रेगुलेशन एक्ट आया।।

बस तभी से शुरू हुइ ये कहानी ह।ै

हर ‘स्टुडेन्ट’ की ऑंको मे पानी है।।

‘इंटेलिजेन्स’ ओर ‘पेशैन्श’ इसका उपचार है।

क्या आप ये परीक्षा आजमाने को तैयार है ।।

प्रभु बोले के ठीक है मै ‘सी ए’ कर के दिखाउगा और ‘आरटिकलशिप करने ‘पी डब्लु सी’ पहुच गए।

प्रभु ने ‘पी डब्लु सी’ का दरवाजा खटखटाया ।

अंदर से किसी ने आवाज दे कर बुलाया।।

102. 103 साथ मे लाए हो।

त्रिशूल ओर डमरू ले कर क्या नोटंकी करने आए हा।।े

दूसरे दिन प्रभु की आखो मे आसू आए।

जब अपने बडे. बडे बाल कटवाए।।

.तीसरी ऑख को छुपा लिया था।

अब तो पैंट ओर र्शट भी सिलवा लिया था।

बिना टाई के बात नही जमी थी।

हाथ मे बस एक बैग की कमी थी।।

पहले थोड़े ‘क्िरिटिकल’ लगते थे।

अब ‘पी डब्लु सी’ के ‘आर्टिकल’ लगते थे।।

जिस हाथ मे कभी त्रिशूल रहता था।

अब उस हााथ मे ‘पेन’ लाल था।।

‘आडिट’ पर ‘वोचर’ और ‘फाईल’ देख कर।

प्रभु शंकर का बुरा हााल था।।

प्रभु बोले

वत्स एक बात बताओ ये ‘संडे’ क्या होता है।

सुना है उस दिन बड़ा आराम होता है।।

दोस्त बोला

6 दिन बाद कल आम जन तो आराम करेगे।

पर आप बैठ कर कल की ‘सी सी’ कि तैयारी करेगे।।

भगवान ने ‘क्लास’ करने की सोची और ‘जे के शाह’ ‘जोइन’ कर ली

आज ‘जे के शाह’ ‘जोइन’ कर लिया है।

खल ‘सुखसागर’ करना है।

परिक्षा सर पर आ गई है।

पढाई भी शुरू करनी है।

दिन बीतते गए सबसे बड़ा महिना आ गया।

अक्तुबर मे काम करके प्रभु को पसीना आ गया।।

प्रभु खुद से बोले

इतना काम कैलाश पर भी कभी नही किया।

क्या पाप किया मैने जो यहा ला दिया।।

दोस्त बोला

अभी तो आप को ‘ईन्टर’ पास करना है।

खुद को ‘फाईनल’ तक खुब याद करना है।।

3 महिने शिव जी ने की खुब पढाई।

‘ईन्टर’ पास होने पर दोस्त ने उन्हे दी बधाई।।

उत्साहित हो कर बोले कि ये तो बड़ा आसान सा काम था।

क्या ‘सी ए’ इसी चिड़िया का नाम था।।

दोस्त बोला कि ये शुरू का काम है।

‘ईन्टर’ तो उस पीज्रों का नाम है।

जिसमे पंछी फस जाता है।।

अन्दर पड़े फल को देख कर।

सदा के लिए उस मे धस जाता है।।

फाईनल का ‘र्कोस देख कर प्रभु हैरान हुए।

कब पढु कैसे पढु सोच कर परेशान हुए।।

दोस्त बोला ये तो बस शुरूआत है।

ईसी सोच मे बीतने वाली आपकी हर रात है।।

पहले पर्चे की रात थी।

बड़ी परेशानी की रात थी।

चिंता दिख रही थी प्रभु के चेहरे पर।

सोच रहे थे कुछ बात रह रह कर।।

न जाने आगे क्या होगा यह तो पहला ही पर्चा है।

इससे तो कैलाश पर्वत कही अच्छा है।।


अपने मूर्त रूप मे आकर प्रभु बोले

खुश हुॅ मै तुम्हारी मेहनत देख कर।

अचरज है मुझे तुम्हारा धिरज देख कर।।

मेहनत यू ही पानी हो जाए तो दुख होता है।

आ्‌खर इन्सान हो तुम तुम्हारा भी मन रोता है।।

पर वक्त पर भरोसा रख तू भी पास होगा।

कल हर ‘सी ए’ ‘स्टूडैंट’ का ओर मेरा साथ होगा।।

इस बार तैयारी और जोर से कर . मुझे फिर से बुलाना है।

अपने खुद का ‘आफिस’ तुझे मुझसे ही खुलवाना है।।


"Success is not to be perused; it is to be attracted
by the person we become."

3 टिप्‍पणियां:

रवि रतलामी ने कहा…

वाह! वाह!!

आप तो अपनी पहली पोस्ट में ही छा गए और प्रभु को खुश कर दिया.

नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएँ एवं बधाइयाँ.

रवि रतलामी ने कहा…

शैलेन्द्र,
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Udan Tashtari ने कहा…

अरे भाई, हम भी सी ए हैं, इतनी बड़ी आरती की भी जरुरत नहीं है. :)

शुभकामनायें ज्यादा जरुरी है!!