दीपावली की हार्दिक शुभ कामनाऐ.
दीपावली
हार्दिक शुभ कामनाऐ
टैली 'यूजर' के काम की हर चीज
प्रस्तुतकर्ता Shailendra पर 4:09 pm 1 टिप्पणियाँ
लेबल: ग्रीटिंग्स, दिवाली
Tally कि प्रगति अभी अपने पूरे शबाब पर है । शायद आप लागों ने टैली के इस संदेश को FM रेडियो पर भी सुना होगा। इस संदेश में बेटा अपने पापा को टैली से कमा कर चैक भेज रह है । अपनी इस अनूठी योजना के तहत टैली अपने अकादेमी में सीखने वाले सभी छात्रों को कमाने का मौका तो दे ही रही है साथ ही मेधावी छात्रों को नकद ईनाम भी दे रही है। टैली की वेबसाइट के अनुसार अभी तक ८१५ विद्यार्थी लगभग २१ लाख कमा चुके है और यह सिलसिला अभी चल ही रह है । १८ ओक्टूबर से पहले जो भी विद्यार्थी टैली सीखेंगे उन्हे इस योजना मे शामिल किया जाएगा।
अगर कमाई कि बात करे तो लड़कियाँ पहले स्थान पर है। सोचने वाली बात यह है कि क्या पूरा का पूरा पापा को मिला या कुछ बीच मे ही गोल हो गया होगा। ताजा जानकारी के लिए टैली प्रगति कि वेबसाइट भी देख सकते है।
है ना कमाल कि कमाई ।
प्रस्तुतकर्ता Shailendra पर 2:31 am 0 टिप्पणियाँ
हम अपने रोजमर्रा के कामो मे छोटी छोटी चीजो पर थोड़ा थोड़ा परन्तु नियमित रुप से खर्चा करते रहते है। इन खर्चो का हमारे व्यवसाय पर या हमारी निजी जिन्दगी पर क्या असर पड़ता है यह शायद इन खर्चो को करते समय हमे आभास कभी नही होता, परन्तु ये हमारी जेब मे कितना चोड़ा छेद करते है शायद इस बात का पता हमे महीने के अंत मे पता चल जाए।
अपने व्यवसाय मे हम 'डे बुक' तो रखते ही है, जरा इस मे पिछले महीने की खर्च कलमो के हिसाब पर नजर डाले तो रिसाव कहा से हो रहा है हमे पता चल जाएगा।
अपने निजी जीवन मे यदि हम एक छोटी सी 'पाकेट डायरी' अपनी जेब मे रख कर चले ओर हर छोटे से छोटे व बड़े से बड़े खर्च को को इस मे लिखते चले जाए तो हमे छेद के साइज का पता चल सकता है।
अब आया असली खेल। एक महीने तक इस 'पाकेट डायरी' के खेल को खेले। आप चाहे तो रोज शाम को अपनी Excel Sheet मे इस हिसाब किताब को डाले या Tally मे भी डाल सकते है। महीने के 30वे दिन इन खर्चो के आगे जरुरी या गैर जरुरी की निशानदेही करे। आप को जान कर हैरानी होगी की छेद की चौड़ाई आपकी उम्मीद से ज्यादा है।
अब चुनौती यह है की इसे कम या बिलकुल बंद कैसे किया जाए। तरीका बिलकुल आसान है अपने गैर जरुरी खर्चो को एक नजर फिर से देखो ओर अगले महीने जैसे ही वह खर्चा आए तो एक पल विचार करो की करे या नही। अगले महीने की चुनौती यही है कि आप छेद का 'साईज' कितना छोटा कर पाए।
प्रस्तुतकर्ता Shailendra पर 1:48 am 4 टिप्पणियाँ
लेबल: money save, tally
मुझे कुछ दिनो से हिन्दी मे लिखने का शोक चर्राया है, सो हिन्दी मे लिखने की शुरुआत कर दी। मेरे एक दोस्त ओर TallyAcademy के संचालक नरेश का शौंक मुझसे भी आगे निकल गया ओर उन्होने Tally की पूरी की पूरी किताबे जो हम पढाते है हिन्दी मे लिख डाली।
हिन्दी मे इन्टरनेट पर कुछ भी लिखने का गुर मैने रवि जी से सीखा। उनके बताए तरीके के अनुसार पहले आप को हिन्दी के किसी font मे जैसे कि शुषा आदि मे MS Word मे टाईप कर ले व उसे htm या html मे सहेज (save) ले। उसके बाद उसे Firefox मे खोल ले। Firefox मे पदमा नाम की एक्सटेनशन लगा कर उस को युनीकोड मे परीवर्तित कर ले। अब इस text को 'कापी' कर के अपने 'ब्लाग' मे डाल ले व सहेज ले। हो गई आप की चिठ्ठी तैयार।
शुरुआत की कुछ कड़िया मैने एसे ही लिखी। पर इस मे एक दिक्कत है, आप को हिन्दी मे शुषा मे लिखना आना चहिए। दूसरी मुसिबत ये कि पूरा प्रकरण कफी लम्बा है।
इस का एक हल मैने अभी निकाला है, या यू कहिए की खोजा है कि बस आप www.hindikalam.com पर जाओ सामने देखते हुए हिन्दी मे टाईप करते चले जाओ।
मुझे यह तरीका बहुत ही सरल लगा बस टाईप किया ओर चल मेरे भाई।
हिन्दी लेखन से समबंधित कुछ ओर ज्ञानवर्धक व उपयोगी चीजे रविजी ने जुटाई है जो आप के काम आ सकती है।
प्रस्तुतकर्ता Shailendra पर 4:30 am 6 टिप्पणियाँ
व्यवसाय चाहे बड़ा हो या छोटा अगर अच्छा चल रहा है तो खर्चा घटा कर उसे ओर ज्यादा मुनफे वाला बनाया जा सकता है, ओर अगर सही नही चल रहा है तो खर्च मे कटोती कर के उसे पटरी पर लाया जा सकता है। हमे अपने व्यवसाय मे न जाने कितने भुगतान करने होते है ओर बिजली, पानी, टैलिफोन ओर न जाने कितने बिल चुकाने होते है। कई बार तो एसा लगता है कि इन खर्चो के लिए ही काम कर रहे है। पर सौ बातो की एक बात यह कि अगर आप इन सौ बातो का ध्यान रखे तो क्या मजाल की अपना धन्धा न चले।
मुझे कुछ बाते बहुत ही अच्छी लगी जो मैं यहा प्रस्तुत कर रहा हू शेष के लिए आप वेबसाईट पर जा कर पढ़ सकते है।
उर्जा खर्चा
1 फ्लोरोसेन्ट बल्ब का इस्तेमाल करे।
2 उपकरण जैसे कम्प्युटर मानिटर, फोटोस्टेट मशीन इत्यादी जब काम ना हो रहा हो तो बन्द कर दे।
3 'एसी' के थर्मोस्टेट को सामान्य से कुछ कम तप पर रखे व पंखे को चला कर 'एसी' का खर्चा कम करे।
4 कम्प्युटर के मामले मे 'टी एफ टी ' का इस्तेमाल करें। 'पी सी' की बजाए 'लैपटाप' कम उर्जा का इस्तेमाल करता है।
वित्तिय खर्चा
1 कम से कम एक तिहाई अग्रिम राशि ले कर काम करे।
2 अनजान ग्राहक को कम से कम उधार दें।
3 बिल जल्दी से जल्दी पहुचाए।
4 'पेमैन्ट' के मामले ढिले ग्रहको से जल्दी छुटकारा पा लें।
छुटमुट खर्चा
1 ग्राहको को खुद आने को कहे बजाए इसके कि आप जाए।
2 अखबार इत्यादि मे विज्ञापन का आकार छोटा रखे।
3 अपनी एक 'वेबसाईट' बना ले।
इस के ईलावा आप बाकी के सभी बिंदुओ पर भी गौर कर सकते है।
प्रस्तुतकर्ता Shailendra पर 12:59 am 1 टिप्पणियाँ
लेबल: business
इधर कई दिनो से मेरा इन्टरनेट घर पर नही चल रहा था सो काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। अक्सर मैं अपने ब्लाग से समबधित सारे काम रात को अपने घर से ही करता हुँ। ऐसे मे इन्टरनेट के बिना कम्प्युटर नीरस सा लगने लग जाता है और मैं अपने आप को असहाय सा महसूस करने लग गया था।
एसे मे जैसे ही नेट ठीक हुआ कुछ काम के लेख व सामग्री हाथ लगी जो कुछ कुछ इसी सिलसिले मे थी। अगर आपका इन्टरनेट बंद हो जाए तो आपकी उत्पादकता मे तो कमी नही आनी चाहिए, इस लिए कुछ काम जो आप कर सकते है जो आप इन्टरनेट के चल जाने के बाद नही कर पाते या भूल जाते है।
1 अनावश्यक प्रोग्रम उड़ा दो।
2 कम्प्युटर का ढक्कन खोल लो ओर धूल झाड़ लो।
3 हार्ड डिस्क को स्कैन व डीफ्रैग कर व्यवस्थित कर लो।
4 अपना खुद का हिसाब किताब टैली मे डाल लो।
5 अपनी इन्टरनेट की आदतो का विवेचन कर लो व कैसे उस मे और सुधार हो सकता है सोच लो।
6 इन्टरनेट चलने पर क्या काम करना है उस की सूची बना लो।
7 आपके क्या काम अधूरे रह गए थे उनको याद कर पूरा कर लो।
प्रस्तुतकर्ता Shailendra पर 12:12 am 0 टिप्पणियाँ
लेबल: internet
अब टैली सिखने के लिए ज्यादा मशक्कत नही करनी पड़ेगी बस घर बैठे अपना कम्प्युटर खोलो ओर शुरू हो जाओ।
हमारे एक और टैली सहायक अतुल खडेंलवाल जी कुछ इसी दिशा मे कार्य कर रहे है। अपनी टैली पर दिये अपनी साईट के विवरण से तो कम से कम हमे यही मिला।उनकी ई पाठशाला टैली सिखने वालो के लिए मस्ती की पाठशाला बनने जा रही है बशर्ते वो अपना काम इसी तरह जारी रखें। हमारी शुभ कामनाए उनके साथ है।
प्रस्तुतकर्ता Dr. Anita पर 12:40 am 0 टिप्पणियाँ
लेबल: tutorials
प्रभु चले ‘सी ए’ करने
हमारा एक दोस्त 7 8 फाइनल देने पर भी जब पास नही हुआ तो उसने भगवान शंकर की तपस्या शुरू कर दी
हे प्रभु तुम जग के स्वामी हो।
इस युग मे अन्तरयामी हो।
एक उंगली पर पृथ्वि को उठा सकते हो।।
पर एक काम है जो तुम नही कर सकते।
कितना भी चाहो पर ‘सी ए’ पास नही कर सकते।।
पभु बोले
यह्र असुर कोन है इस अत्याचारी का क्या नाम है
इतना तो बताओ की ‘सी ए’ किस चिड़ि.या का नाम है
दोस्त बोला
कोसता हुॅं उसको जिसने बाजार बनाया
लेने देने के लिए रूपया बनाया
साहुकार जिसे मुंशी कह कर रखा करते है
पढे लिखे मुंशी को ही लोग ‘सी ए’ कहा करते है
1947 मे देश आजाद हुआ तो लोगो ने वो दिन खुशी से मनाया।
1948 मे गांधी जी चले गए तो हमने शोक मनाया।।
पर आने वाले सल मे एक बड़ा भुचाल आया।
1949 मे जब सी ए रेगुलेशन एक्ट आया।।
बस तभी से शुरू हुइ ये कहानी ह।ै
हर ‘स्टुडेन्ट’ की ऑंको मे पानी है।।
‘इंटेलिजेन्स’ ओर ‘पेशैन्श’ इसका उपचार है।
क्या आप ये परीक्षा आजमाने को तैयार है ।।
प्रभु बोले के ठीक है मै ‘सी ए’ कर के दिखाउगा और ‘आरटिकलशिप करने ‘पी डब्लु सी’ पहुच गए।
प्रभु ने ‘पी डब्लु सी’ का दरवाजा खटखटाया ।
अंदर से किसी ने आवाज दे कर बुलाया।।
102. 103 साथ मे लाए हो।
त्रिशूल ओर डमरू ले कर क्या नोटंकी करने आए हा।।े
दूसरे दिन प्रभु की आखो मे आसू आए।
जब अपने बडे. बडे बाल कटवाए।।
.तीसरी ऑख को छुपा लिया था।
अब तो पैंट ओर र्शट भी सिलवा लिया था।
बिना टाई के बात नही जमी थी।
हाथ मे बस एक बैग की कमी थी।।
पहले थोड़े ‘क्िरिटिकल’ लगते थे।
अब ‘पी डब्लु सी’ के ‘आर्टिकल’ लगते थे।।
जिस हाथ मे कभी त्रिशूल रहता था।
अब उस हााथ मे ‘पेन’ लाल था।।
‘आडिट’ पर ‘वोचर’ और ‘फाईल’ देख कर।
प्रभु शंकर का बुरा हााल था।।
प्रभु बोले
वत्स एक बात बताओ ये ‘संडे’ क्या होता है।
सुना है उस दिन बड़ा आराम होता है।।
दोस्त बोला
6 दिन बाद कल आम जन तो आराम करेगे।
पर आप बैठ कर कल की ‘सी सी’ कि तैयारी करेगे।।
आज ‘जे के शाह’ ‘जोइन’ कर लिया है।
खल ‘सुखसागर’ करना है।
परिक्षा सर पर आ गई है।
पढाई भी शुरू करनी है।
दिन बीतते गए सबसे बड़ा महिना आ गया।
अक्तुबर मे काम करके प्रभु को पसीना आ गया।।
प्रभु खुद से बोले
इतना काम कैलाश पर भी कभी नही किया।
क्या पाप किया मैने जो यहा ला दिया।।
दोस्त बोला
अभी तो आप को ‘ईन्टर’ पास करना है।
खुद को ‘फाईनल’ तक खुब याद करना है।।
3 महिने शिव जी ने की खुब पढाई।
‘ईन्टर’ पास होने पर दोस्त ने उन्हे दी बधाई।।
उत्साहित हो कर बोले कि ये तो बड़ा आसान सा काम था।
क्या ‘सी ए’ इसी चिड़िया का नाम था।।
दोस्त बोला कि ये शुरू का काम है।
‘ईन्टर’ तो उस पीज्रों का नाम है।
जिसमे पंछी फस जाता है।।
अन्दर पड़े फल को देख कर।
सदा के लिए उस मे धस जाता है।।
फाईनल का ‘र्कोस देख कर प्रभु हैरान हुए।
कब पढु कैसे पढु सोच कर परेशान हुए।।
दोस्त बोला ये तो बस शुरूआत है।
ईसी सोच मे बीतने वाली आपकी हर रात है।।
पहले पर्चे की रात थी।
बड़ी परेशानी की रात थी।
चिंता दिख रही थी प्रभु के चेहरे पर।
सोच रहे थे कुछ बात रह रह कर।।
न जाने आगे क्या होगा यह तो पहला ही पर्चा है।
इससे तो कैलाश पर्वत कही अच्छा है।।
अपने मूर्त रूप मे आकर प्रभु बोले
खुश हुॅ मै तुम्हारी मेहनत देख कर।
अचरज है मुझे तुम्हारा धिरज देख कर।।
मेहनत यू ही पानी हो जाए तो दुख होता है।
आ्खर इन्सान हो तुम तुम्हारा भी मन रोता है।।
पर वक्त पर भरोसा रख तू भी पास होगा।
कल हर ‘सी ए’ ‘स्टूडैंट’ का ओर मेरा साथ होगा।।
इस बार तैयारी और जोर से कर . मुझे फिर से बुलाना है।
अपने खुद का ‘आफिस’ तुझे मुझसे ही खुलवाना है।।
प्रस्तुतकर्ता Shailendra पर 3:48 am 3 टिप्पणियाँ
लेबल: poem